खेती में सिंचाई का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है फसल को उगाने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। भारत के ज्यादातर किसान पुराने तरीके से खेती करते हैं जिसमें पानी की खपत ज्यादा होती है और जमीन से पानी निकालने के लिए अक्सर वह डीजल से चलने वाले मोटर का इस्तेमाल करते हैं या फिर बिजली से चलने वाले मोटर का इस्तेमाल करते हैं। जिससे उनकी लागत में भी काफी बढ़ोतरी हो जाती है। आज के समय में सौर ऊर्जा से चलने वाले इरिगेशन सिस्टम विशेष सिंचाई प्रणाली कहते हैं किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी होता है इससे न सिर्फ पानी की बचत होती है बल्कि बिजली की भी बचत होती है जिससे उनकी लागत कम होती है और यह खेती के लिए आज के दौर में वरदान साबित हो रही है।
सौर ऊर्जा से चलने वाला इरिगेशन सिस्टम क्या है
सौर ऊर्जा से चलने वाले इरिगेशन सिस्टम एक ऐसी सिंचाई प्रणाली है जिसके जरिए कल नदी या फिर जमीन से निकलने वाले पानी को फसलों तक पहुंचाया जाता है इस सिस्टम में अलग-अलग तरह के तकनीक का इस्तेमालकिया जाता है। उनमें से तीन महत्वपूर्ण तकनीक होती है ड्रिप इरीगेशन, स्प्रिंकल सिस्टम और सीधे पौधे तक पानी पहुंचाना
सौर ऊर्जा से चलने वाले इरिगेशन सिस्टम के लाभ
बिजली पर होने वाले खर्च में बचत
इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि बिजली की खपत बहुत ही कम हो जाती है। अगर किसान पुराने तरीके से मोटर पंप का इस्तेमाल करके खेतों में सिंचाई करते हैं तो बिजली की खपत ज्यादा होती है। क्योंकि यह सिस्टम जरूरत के अनुसार ही पानी का इस्तेमाल करता है। जिससे बिजली के बिल में काफी कटौती होती है किसान बचे हुए पैसों का इस्तेमाल खेती में लगने वाले अन्य समान पर कर सकते हैं।
पर्यावरण को लाभ पहुंचता है
सौर ऊर्जा से चलने वाले सिंचाई सिस्टम पर्यावरण को कई तरह की लाभ पहुंचाते हैं
कार्बन मे कमी: सौर ऊर्जा से चलने वाले इरिगेशन सिस्टम किसी भी प्रकार का कार्बन पैदा नहीं करता है। किसी और की तरह की बिजली का इस्तेमाल करते हैं तो उनको बनाने में कहीं ना कहीं पेट्रोल डीजल और कोयले का इस्तेमाल किया जाता है जो कि हमारे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है जिससे जलवायु परिवर्तन होता है और जलवायु परिवर्तन अक्सर किसानों के लिए नुकसानदायक होता है।
पानी बचाने में मदद: इरिगेशन सिस्टम को ऐसे डिजाइन किया जाता है जिससे कि पानी की बचत होती है यह एक-एक बूंद पानी का हिसाब रखता है यह पानी सिर्फ पौधों तक पहुंचना है उसके अलावा पानी की बर्बादी को रोकता है
कीटनाशक और रसायन मे कमी: इस सिस्टम की मदद से कीटनाशक और रसायनों का इस्तेमाल में भारी कमी आती है क्योंकि जब इस सिस्टम के द्वारा पानी सिर्फ फसलों तक पहुंचाया जाता है तो जमीन के बाकी हिस्सों को पानी नहीं मिलता है जिसके कारण खरपतवार और अन्य तरह के जंगली पौधे नहीं हो पाते हैं। खरपतवार और अन्य पौधों को खत्म करने के लिए किस अक्सर रसायन का इस्तेमाल करते हैं। जब रसायन का इस्तेमाल खेतों में काम होता है तो इससे कई तरह के लाभ होते हैं एक तो लागत में कमी होती है और दूसरा रसायन अक्सर धरती पर मौजूद किसी तत्व से बने होते हैं उसके इस्तेमाल में भी कमी होती है।
रखरखाव बहुत ही आसान और रखरखाव का खर्च भी कम
सौर ऊर्जा से चलने वाले से चाहिए सिस्टम बहुत ही काम होता है। शुरुआत में जब एक बार साल पहले को लगाया जाता है तो इसकी लागत लगती है उसके बाद इसके मेंटेनेंस करने में कोई खर्च नहीं आता है अक्सर सौर पैनल को इस तरह से डिजाइन किया जाता है जिससे कि वह लगभग 25 सालों तक आपको लगातार बिजली प्रदान कर सकता है इस प्रकार यह किसानों के लिए बहुत ही भरोसेमंद और टिकाऊ प्रणाली है इसका इस्तेमाल करके किस लंबे समय तक लाभ ले सकते हैं
फसल पैदावार में वृद्धि
सर उधर से चलने वाले सिंचाई सिस्टम यह सुनिश्चित करते हैं कि फसलों को हमेशा बदलते मौसम के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में पानी मिले कभी भी किसी भी मौसम में पानी की कमी ना हो। यह सिस्टम पानी बहुत ही कम खर्च करता है इसके कारण यह हर मौसम में फसलों को उनकी जरूरत के मुताबिक पानी प्रदान करता है जिससे फसल बहुत ही अच्छी मात्रा में पैदा होती है और किस की जमीन भी उपजाऊ बनी रहती है
मिट्टी के गुणवत्ता में वृद्धि
फसल को उगाने के लिए मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखना बहुत ही जरूरी होता है जब हम पुराने तरीके से खेतों की सिंचाई करते हैं तब बहुत ही अधिक मात्रा में पानी खेतों में जाता है जिसके कारण मिट्टी की गुणवत्ता में कमी आती है और अक्सर ज्यादा पानी मिलने के कारण एक खेत में पाए जाने वाले पोषक तत्व रहकर दूसरे खेतों में चले जाते हैं। सौर ऊर्जा से चलने वाले एप्लीकेशन सिस्टम इस तरह के खतरे को काम करता है और मिट्टी के गुणवत्ता बनाए रखने में सहयोग करता है क्योंकि यह केवल जरूरत के मुताबिक के पानी प्रदान करता है।
सरकारी सहायता और सब्सिडी
भारत अलग-अलग क्षेत्र में कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं जिसके तहत सरकार कई तरह के सहायता राशि प्रदान करती है। यह सहायता राशि किसानों को अक्सर नई तकनीक के इस्तेमाल करने पर मिलती है। उन्हें में से एक है सोलर पंप योजना इसके तहत सोलर पंप लगाने पर केंद्र सरकार द्वारा 30 से 50 परसेंट तक की सब्सिडी प्रदान की जाती है। इसके अलावा आप जिस राज्य में रहते हैं उसे राज्य की सरकार भी आपको खेती में उपयोग होने वाले संसाधनों में होने वाले खर्चों पर सब्सिडी देती है। सोलर पैनल लगाने पर भारत सरकार द्वारा पीएम सूर्य घर योजना और अन्य तरह के योजनाओं के तहत अनेक लाभ दिया जा रहा है। सोलर पैनल खरीदने और सोलर सब्सिडी से संबंधित जानकारी के लिए आप लूम सोलर वेबसाइट पर जा सकते हैं। यहाँ आपको सभी जानकारी मुफ्त में मिलेगी। यह कंपनी भारत सरकार द्वारा रजिस्टर्ड है। लूम सोलर भारत में सोलर पैनल, सोलर बैटरी और सोलर इंटरवेर्ट बनाती है।
सौर ऊर्जा सिंचाई सिस्टम को लगाने पर होने वाले चुनौती
सौर ऊर्जा से चलने वाली सिंचाई सिस्टम कई प्रकार के फायदे प्रदान करते हैं लेकिन इस सिस्टम में कुछ चुनौतियां भी हैं जो इस प्रकार है।
शुरुआती निवेश: शुरुआत में सोलर पैनल लगाने और उनकी स्थापना करने की लागत काफी ज्यादा आती है। लेकिन जब हम इसे लंबे समय तक इस्तेमाल करते हैं तो यह रकम बहुत ही कम लगती है।
सौर पैनल और सिंचाई सिस्टम की जानकारी: सौर पैनल को लगातार अच्छे तरीके से चलने के लिए और सिंचाई सिस्टम को भी इस्तेमाल करने के लिए थोड़े बहुत तकनीकी जानकारी का होना आवश्यक होता है जिससे आप इनमें होने वाली छोटी-मोटी परेशानियों से अपने आप ही निपट सकते हैं।
शुरुआती बैटरी लगाने की कीमत: वैसे तो सौर ऊर्जा से चलने वाले सिंचाई सिस्टम बिना बैटरी के भी अच्छा काम करते हैं। लेकिन बैटरी का होना भी जरूरी है क्योंकि बैटरी सौर ऊर्जा को स्टोर करता है और यह आपकी जरूरत के मुताबिक या काम सूरज रोशनी वाले दिन भी आपके लिए बिजली स्टोर करके रखता है इसका इस्तेमाल आप कभी भी कर सकते हैं।
निष्कर्ष
सोलर पैनल से चलने वाले सिंचाई यंत्र की शुरुआती लागत ज्यादा होती है लेकिन जब यह एक बार लग जाता है उसके बाद या लंबे समय तक किसानों को कई तरह के फायदे प्रदान करता है जिससे किसानों के होने वाले खर्चे में बहुत कमी आ जाती है और फैसले बहुत ही अच्छी किस्म की होती है जिससे उनके आई में वृद्धि होती है।
यह बेहतर ढंग से फसल को उगाने का एक आधुनिक तरीका है। इसका इस्तेमाल करके किस नासिक नई तकनीक को इस्तेमाल करने में सक्षम बन पाता है बल्कि पारंपरिक खेती को छोड़कर नए तरीके से आय के नए सोर्स बढ़ाने के माध्यम से भी जुड़ जाता है